आमुख

तथ्यों के ज्ञान एवं बुद्धि के विकास के अतिरिक्त शिक्षा का उद्‌देश्य मन आवेग और संवेग पर संतुलित नियंत्रण तथा सुनिर्णय की क्षमता,संकल्प शक्ति,इच्छाशक्ति,ध्यान,सजकता,जागरूकता, होश और विवेक का विकास है|
ईश्‍वरभक्ति, गुणों के अभ्यास तथा संतुलित परहित के साथ साथ पुण्यों का संकलन प्रतिभा से अधिक महत्वपूर्ण है|प्रस्तुत पुस्तिका जीवन यज्ञ के सम्बन्ध में मात्र बोध पुस्तिका है|निहित सूत्रों एवं निर्णयों को स्वयं के ज्ञान तथा तर्क से सकारात्मक द्रष्टिकोण के साथ विवेचित एवं व्याख्यासित कर सत्य को प्राप्त करना है|
संतुलित आर्थिक विकास (अर्थ-धन) जीवन की प्रथम अवयश्कता है |जब तक सम्पूर्ण जगत में एक भी नर-नारी आर्थिक कामिक(Sex) तथा अस्वस्थता(शारीरिक-मानसिक) के संतुलन से ग्रहस्त है तब तक अन्य की भी परमात्मा साधना तथा जीवन मुक्ति असम्भ्व है|
धरती को नारी एवं पशु-पक्षी उत्पीड़न रहित बनाने तथा सन्तुलित
भौतिक एवं आध्यात्मिक समाजवाद हेतु प्रस्तुत समाधान,निर्णयों एवं निदान पर आचरण करने एवं करवाने की आवष्यकता है| मानव सेवा एवं जीव सेवा सर्वोत्तम पूजा है|

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